10 जनवरी, 2020 को हैम्बर्ग विश्वविद्यालय में हैम्बर्ग विश्वविद्यालय एवं भारतीय दूतावास, बर्लिन (टैगोर सेंटर, बर्लिन) के सहयोग से विश्व हिंदी दिवस सफलतापूर्वक संपन्न हुआ। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि कौंसल जनरल महामहिम श्री मदन लाल रैगर रहे। विशिष्ट अतिथि प्रो. अमृता नारलीकर तथा मुख्य वक्ता डॉ. अरुणा नारलीकर और अर्चना पैन्यूली रहीं। श्री मदन लाल रैगर ने हिंदी भाषा की सांस्कृतिक एवं साहित्यिक धरोहर के बारे में अपनी बात रखी और उन्होंने आप्रवासी भारतीयों से अपनी भाषिक एवं सांस्कृतिक जड़ों से जुड़े रहने का आह्वान किया।वाईस कौंसल श्री गुलशन ढींगरा ने माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी का हिंदी दिवस के अवसर पर दिया गया संदेश पढ़कर सुनाया। प्रो. अमृता नारलीकर ने हिंदी भाषा एवं भारतीय संस्कृति के महत्त्व को विश्व में भारत के बढ़ते हुए महत्त्व के संदर्भ में समझाया। डॉ. अरुणा नारलीकर ने हिंदी कविता की परंपरा, विकास एवं समाज में कविता की भूमिका पर विस्तार में अपनी बात रखी। हिंदी साहित्यकार अर्चना पैन्यूली ने यूरोप में लिखे जा रहे हिंदी डायस्पोरा गद्य साहित्य के समसामयिक विकास पर अपने विचार रखे।
प्रो. आइजैक्सन ने संस्कृत काव्य में भाषा की परंपरा एवं उसके महत्त्व पर बात करते हुए संस्कृत और हिंदी के संबंध में संक्षिप्त में अपने विचार रखे। कार्यक्रम के दौरान हिंदी कविता, कहानी, निबंध एवं एकांकी, भारतीय संगीत एवं नृत्य प्रस्तुतियाँ हुईं। साथ ही भारतीय आप्रवासी बच्चों द्वारा संस्कृत साहित्य पर आधारित 'मुखौटा' नृत्य और विश्वविद्यालय के छात्र-छात्राओं द्वारा सांस्कृतिक कार्यक्रम भांगड़ा नृत्य प्रस्तुत किया गया। कार्यक्रम में हैम्बर्ग विश्वविद्यालय के छात्र-छात्राएँ, अकादमिक सदस्य तथा आप्रवासी भारतीय समुदाय के सदस्य भारी मात्रा में उपस्थित थे। हैम्बर्ग शहर के अलावा अनेक लोग हनोवर, ब्रेमन, ल्यूनेबुर्ग और ल्यूबेक से आए थे। संचालन डॉ. राम प्रसाद भट्ट ने किया।