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डॉ. हेंस वर्नर वेसलर से बातचीत
(साक्षात्कार)
रचनाकार:
डॉ. जवाहर कर्नावट
डॉ. हेंस वर्नर वेसलर जर्मनी मूल के हिंदी विद्वान हैं तथा संप्रति भाषा विज्ञान एवं वांग्मय संस्थान, उप्साला विश्वविद्यालय, स्वीडन में प्रोफ़ेसर हैं। पिछले दिनों अपनी भारत यात्रा के दौरान डॉ. हेंस से डॉ. जवाहर कर्नावट ने विविध अकादमिक विषयों पर बातचीत की, जिसे यहाँ प्रस्तुत किया गया है।
कोरोना काल की विकराल कथा
(व्यंग्य)
रचनाकार:
डॉ. राकेश शर्मा
जिस दिन हमारे मोदी जी ने देश में लॉकडाउन घोषित किया था, उस दिन से आज तक कोई दिन ऐसा दिन नहीं गया, जब हमने योग-प्राणायाम न किया हो और दिन में नीम्बू-शहद का गुनगुना पानी और रात में च्यवनप्राश के साथ हल्दी वाला दूध न पिया हो।
जर्मनी की एक यादगार यात्रा
(यात्रा वृत्तांत)
रचनाकार:
डॉ. काजल पाण्डे
जर्मनी की शानदार यात्रा के दौरान मैंने इस बात पर ध्यान दिया और इसकी सराहना भी की कि सभी जर्मन लोग अपनी भाषा का ही प्रयोग करते हैं, चाहे आप वो भाषा जानते हो या नहीं। वे और कोई भाषा में आपसे बात नहीं करेंगे। इससे साफ़तौर पर पता चलता है कि वे अपने देश की भाषा का कितना सम्मान करते हैं।
हिंदी के विकास पुरुष : फ़ादर बुल्के
(संस्मरण)
रचनाकार:
डॉ. केदार सिंह
मेरी बलवती इच्छा थी कि एक बार बुल्के सर से मिलकर, मैं उनका अभिवादन करूँ। डॉ. बुल्के उस समय स्थायी रूप से मनेरसा हाउस, पुरूलिया रोड, राँची, झारखण्ड में निवास कर रहे थे। कुछ ऐसा संयोग बना कि मेरी उनसे मुलाकात हो ही गई। लेकिन जानते हैं, पहली ही मुलाकात में उन्होंने मुझे किस बात पर झिड़क दिया?
भाषा और अस्मिता
(निबंध)
रचनाकार:
डॉ. प्रमोद कुमार दुबे
पाणिनि के व्याकरण में आठ अध्याय हैं, इसलिए उनके व्याकरण का नाम अष्टाध्यायी है, प्रत्येक अध्याय में चार-चार पद हैं और इसमें लगभग चार हज़ार सूत्र हैं। यह सम संख्याओं की संरचना है, जैसे वाक् की वेदी हो। प्रश्न यह है कि पाणिनि ने अपने व्याकरण में आठ अध्याय और उन अध्यायों के चार-चार पद अर्थात् कुल बत्तीस पद क्यों बनाए, क्या इसका कोई आधार है?
बोया बीज बबूल का
(नाटक)
रचनाकार:
बोया बीज बबूल का
जिन माता-पिता ने अपने बच्चों को पालने-पोसने और सफलता तक ले जाने के लिए हर प्रकार का समझौता और बलिदान किया, वही माता-पिता जब वृद्ध हो जाते हैं तो उनकी संतानें कैसे उनसे मुँह फेर लेती हैं, इसी पर केंद्रित है यह रचना।
कोरोना विभीषिका
(कविता)
रचनाकार:
प्रो. मृदुला जुगरान
कवयित्री ने प्रस्तुत कविता में कोरोनावायरस की विश्वव्यापी विभीषिका का मर्मस्पर्शी वर्णन किया है।
पीठासीन अधिकारी
(कहानी)
रचनाकार:
ब्रह्म दत्त शर्मा
हमारे स्कूल पहुँचने की खबर गाँव में आग की भाँति फैल गई थी। गाँव वासी यूँ भागे चले आए, मानो पोलिंग की बजाय, हम कोई नौटंकी पार्टी हों और गाँव में तमाशा दिखाने वाले हों। वैसे हमारे देश में चुनाव तमाशे से कम हैं भी नहीं। बड़ों की देखा-देखी बच्चे भी कौतुहलवश दौड़े आए थे। वे हम पाँचों को टकटकी लगाए घूरते रहे और फिर हममें कुछ भी विशेष न पाकर निराश लौटने लगे।
भूल से न छूना मेरे हिस्से का खाना
(लघुकथा)
रचनाकार:
कुमारदत्त गुदारी
गली में दो कुत्ते रहते थे। दोनों अनाथ। अन्यों की तरह। पर दोनों में गहरा प्रेम था। हमेशा आसपास एक साथ ही दिखते। नितांत स्वतंत्र थे। गली ही उनका आँगन था।