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रचनाः रोहित कुमार 'हैप्पी'
तिथिः 09 जून 2021
श्रेणीः  लेख

रचना परिचयः

भारतीय शिक्षा प्रणाली में विस्तृत रूप से ऑनलाइन शिक्षण एक नया प्रयोग है। भारत के लिए यह एक बड़ी चुनौती है। शिक्षण को क्रियाशील रखने के लिए ‘ऑनलाइन शिक्षण पद्धति’ से कोरोना संकट में एक आशा बंधती है।

ऑनलाइन शिक्षण : कोरोना संकट में आशा की एक किरण

- रोहित कुमार 'हैप्पी'

अर्थव्यवस्था और सामाजिक जीवन के अतिरिक्त कोरोना वायरस से शिक्षा-व्यवस्था सर्वाधिक प्रभावित हुई है। प्राथमिक पाठशाला से लेकर उच्च स्तरीय शैक्षणिक संस्थानों में और पठन-पाठन का भविष्य अनिश्चितता के दौर से गुज़र रहा है। जब से कोरोना की महामारी ने विश्व को अपनी चपेट में लिया है, विश्वव्यापी तालाबंदी का एक नया दौर चल रहा है। हमारा संपूर्ण सामाजिक ढांचा कोविड-19 (कोरोना) से बुरी तरह प्रभावित हुआ है।

पुरानी कहावत है - ‘आवश्यकता आविष्कार की जननी है।’ जब हर जगह तालाबंदी हो, तब भी मनुष्य की दैनिक आवश्यकताओं की पूर्ति तो आवश्यक है। यूँ तो ‘ऑनलाइन शॉपिंग’ दशकों से चल रही है, लेकिन तालाबंदी के समय इसके उपयोग की गति को जैसे पंख लग गए। दैनिक जीवन की आपूर्ति के लिए अब और विकल्प था भी क्या? वर्तमान परिस्थितियों ने ‘ऑनलाइन शॉपिंग’ को नया बाज़ार दिया। जब लोग बाहर जाकर खरीदारी करने में असमर्थ थे, तो ‘ऑनलाइन शॉपिंग’ का विकल्प अपनाना स्वाभाविक था।

वैश्विक स्तर पर इस महामारी ने उपभोक्ताओं के व्यवहार और तरीके परिवर्तित कर दिए हैं। जीवन भर कभी ऑनलाइन खरीदारी न करने वाले लोगों को भी ‘ऑनलाइन’ खरीदारी करने पर विवश होना पड़ा। अनेक विकसित देशों में पूर्ण तालाबंदी के समय नागरिकों के पास ‘ऑनलाइन’ के अतिरिक्त कोई विकल्प शेष न था। कुछ दिनों की बात हो तो अलग है, लेकिन यदि यह लंबे समय तक यों ही रहने वाला हो, तो दूरगामी योजनाएँ बनानी होंगी। नए विकल्प और मार्ग खोजने होंगे। विश्व स्वास्थ्य संगठन तो चेतावनी दे चुका है कि कोरोना वायरस शायद स्थायी हो। स्वास्थ्य विशेषज्ञों के अनुसार, महामारी के शांत होने के बाद भी, कोरोनो के संक्रामक रोगों की सूची में सम्मिलित होने की संभावना है। हो सकता है, यह आने वाले दशकों तक बना रहे।

"ऐसा लग रहा है कि कोविद-19 यहाँ लंबी दौड़ के लिए होगा”, ओ.एम.आर.एफ़. (OMRF) के अध्यक्ष स्टीफ़न प्रेस्कॉट ने कहा। ओक्लाहोमा मेडिकल रिसर्च फाउंडेशन (ओ.एम.आर.एफ़.) एक स्वतंत्र, गैर-लाभकारी जैव चिकित्सा अनुसंधान संस्थान है। 1946 में स्थापित, ओ.एम.आर.एफ़. (OMRF) मानव रोग के लिए अधिक प्रभावी उपचार को समझने और विकसित करने के लिए समर्पित है। विश्व भर के स्वास्थ्य संगठनों द्वारा कोरोना के संदर्भ में गम्भीर वक्तव्य आने पर, पूरा विश्व इस महामारी के उपचार ढूँढने और साथ ही जीवन यापन के नए विकल्प खोजने में लग गया।

शिक्षा का क्षेत्र भी इस महामारी से बुरी तरह प्रभावित हुआ है। शैक्षणिक संस्थान बंद हैं, सामान्य कक्षाएँ संभव नहीं, परीक्षाएँ किस प्रकार हों - इस तरह की अनेक समस्याएँ आ रही हैं। विश्व भर में अधिकतर संस्थान ऑनलाइन शिक्षा पद्धति को अपना रहे हैं।

भारतीय शिक्षा प्रणाली में विस्तृत रूप से ऑनलाइन शिक्षण एक नया प्रयोग है। भारत के लिए यह एक बड़ी चुनौती है। शिक्षण को क्रियाशील रखने के लिए ‘ऑनलाइन शिक्षण पद्धति’ से कोरोना संकट में एक आशा बंधती है।

केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री माननीय श्री रमेश पोखरियाल 'निशंक' ने इस वर्ष जुलाई में नई दिल्ली में ऑनलाइन माध्यम से डिजिटल शिक्षा पर ‘प्रज्ञाता’ (पीआरएजीवाईएटीए) दिशा-निर्देश जारी किए। इस कार्यक्रम में मानव संसाधन विकास राज्य मंत्री माननीय श्री संजय धोत्रे भी ऑनलाइन माध्यम से उपस्थित रहे।

माननीय मानव संसाधन विकास मंत्री ने इस अवसर पर कहा कि कोविड-19 महामारी की वजह से सभी स्कूल बंद हैं और इससे देश भर के स्कूलों में नामांकित 240 मिलियन से अधिक बच्चे प्रभावित हो रहे हैं। स्कूलों के इस तरह आगे भी बंद रहने से बच्चों को सीखने के मौकों की हानि हो सकती है। शिक्षा पर महामारी के प्रभाव को कम करने के लिए स्कूलों को न केवल अब तक पढ़ाने और सिखाने के तरीके को बदलकर फिर से शिक्षा प्रदान करने के नए मॉडल तैयार करने होंगे, बल्कि घर पर स्कूली शिक्षा और स्कूल में स्कूली शिक्षा के एक स्वस्थ मिश्रण के माध्यम से बच्चों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्रदान करने की एक उपयुक्त विधि भी पेश करनी होगी।

इससे पहले अप्रैल में भी डॉ. रमेश पोखरियाल ‘निशंक’ ने देश में कोरोना वायरस 'कोविड-19' के प्रकोप से उपजे संकट को देखते हुए ऑनलाइन शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए 'भारत पढ़े ऑनलाइन' कार्यक्रम के अंतर्गत लोगों से सुझाव माँगे थे। इस अभियान का उद्देश्य भारत में डिजिटल शिक्षा के लिए उपलब्ध प्लेटफॉर्म को और बढ़ावा देना तथा देशभर के बुद्धिजीवियों से इसे और उत्कृष्ट बनाने एवं इसमें आने वाली बाधाओं को दूर करने के लिए सुझाव लेना था।

ऑनलाइन शिक्षा व डिजिटल तकनीकों का उपयोग करते समय विद्यार्थियों को अत्यधिक सावधानी की आवश्यकता है। सरकार के दिशा-निर्देश छात्रों, शिक्षकों, अभिभावकों व शैक्षणिक संस्थानों को ऑनलाइन सुरक्षा विधियों को सीखने में हितकारी हो सकते हैं। कुछ सुझाव इस प्रकार हैं :

• शैक्षणिक मूल्यांकन की ज़रूरत

• ऑनलाइन और डिजिटल शिक्षा की योजना बनाते समय कक्षा के हिसाब से सत्र की अवधि, स्क्रीन समय, समावेशिता, संतुलित ऑनलाइन और ऑफ़लाइन गतिविधियों आदि से सरोकार

• हस्तक्षेप के तौर-तरीके जिनमें संसाधन अवधि, कक्षा के हिसाब से उसका वितरण आदि शामिल हैं

• डिजिटल शिक्षा के दौरान शारीरिक, मानसिक स्वास्थ्य और तंदुरुस्ती

• साइबर सुरक्षा को बनाए रखने के लिए सावधानियों और उपायों सहित साइबर सुरक्षा और नैतिकता।

• विभिन्न पहलों के साथ सहयोग और सम्मिलन किया जाना।

लंबे समय तक डिजिटल उपकरणों के उपयोग के कारण बच्चों को अत्यधिक तनाव होने की संभावना रहती है। इसके अनेक दूरगामी नकारात्मक परिणाम हो सकते हैं, जिनमें कमर दर्द, नेत्र रोग और अन्य शारीरिक समस्याएँ सम्मिलित हैं। साइबर सुरक्षा के संबंध में भी अधिक जानकारी उपलब्ध करवाने की आवश्यकता है कि हम ऑनलाइन किस प्रकार सुरक्षित रहें।

यूनेस्को के अनुसार, महामारी के प्रसार को रोकने के प्रयास में दुनिया भर की अधिकांश सरकारों ने अस्थायी रूप से शिक्षण संस्थानों को बंद कर दिया है।

ये देशव्यापी बंद दुनिया की 60% से अधिक विद्यार्थियों को प्रभावित कर रहे हैं। यूनेस्को स्कूल बंद होने के तात्कालिक प्रभाव को कम करने के लिए, विशेष रूप से अधिक कमज़ोर और वंचित समुदायों के लिए और दूरस्थ शिक्षा के माध्यम से सभी के लिए शिक्षा की निरंतरता को सुविधाजनक बनाने के अपने प्रयासों का समर्थन कर रहा है।

भारत में सिविल सेवा परीक्षा और आइ.आइ.टी., मेडिकल कॉलिजों के लिए तैयारी कराने वाले कोचिंग संस्थान भी ‘ऑनलाइन शिक्षण के विकल्प’ जुटाने में प्रयासरत हो चुके हैं। इसके पर्याप्त कारण भी हैं, क्योंकि यह अनुमान नहीं लगाया जा सकता परिस्थितियाँ कब तक सामान्य होंगी? सामान्य होंगी भी, तो शारीरिक दूरी कितने समय तक आवश्यक रहेंगी? भारत के अनेक ‘कोचिंग सेंटर’ अपनी कक्षाओं में क्षमता से भी अधिक विद्यार्थियों को भर्ती करते रहे हैं। एक ही कक्षा में अनेक विद्यार्थी होते हैं। दिल्ली जैसे महानगरों में तो ‘कोचिंग’ लेने वाले युवाओं के निवास भी भरे रहते हैं। एक-एक कमरे में कई लोग रहते हैं। ऐसी परिस्थिति में यदि सावधानी न रखी गई, तो उसके बुरे परिणाम हो सकते हैं। तेज़ी से संक्रमण फैल सकता है। रहने के तौर-तरीकों में भी बदलाव की आवश्यकता होगी और नागरिकों को स्वास्थ्य व सामाजिक जीवन के प्रति अधिक सजग होना होगा।

इस महामारी के कारण भविष्य में शिक्षण संस्थानों के संचालन के तौर-तरीकों में मौलिक परिवर्तन आने की संभावना है। भारत की नई शिक्षा नीति 2020 में भी इसका प्रभाव स्पष्ट तौर पर देखा जा सकता है।

पिछले कुछ महीनों में जैसे-जैसे ऑनलाइन शिक्षा की गतिविधि आगे बढ़ी, कई नई चुनौतियाँ भी सामने आईं। बहुत से लोग ऑनलाइन उपकरणों का उपयोग करना सीख रहे हैं। शैक्षणिक संस्थाएँ, बुद्धिजीवी व साहित्यकार ई-संगोष्ठियाँ व वीडियो कॉन्फ़्रेंसिंग कर रहे हैं। उनके बीच ऑनलाइन का चलन बढ़ा है। ऑनलाइन ‘कवि-सम्मेलन’ का एक नया अध्याय आरंभ हुआ है। पुरानी पीढ़ी के साहित्यकार भी ऑनलाइन जुड़ रहे हैं। विश्व हिंदी सचिवालय और वैश्विक हिंदी परिवार हर सप्ताह संगोष्ठियाँ आयोजित कर रहा है। ज्ञानपीठ, वनमाली और विश्वरंग भी ऑनलाइन अपनी उपस्थिति दर्ज कर चुके हैं।

ऑनलाइन संगोष्ठियों के लिए ‘गूगल मीट’, ‘ज़ूम’ व ‘वेबेक्स’ का उपयोग हो रहा है। अभी तक भारतीय उत्पाद नहीं होने से ये ई-संगोष्ठियाँ विदेशी मूल के ही सॉफ़्टवेयर उपयोग कर रही थीं, लेकिन अजय डाटा के नेतृत्व में अब भारत का अपना उत्पाद ‘वीडियो मीट’ भी उपलब्ध हो चुका है।

स्वास्थ्य संगठनों के अनुसार, अभी कोरोना लंबे समय तक हमारे बीच रहने वाला है। इस परिस्थिति में ऑनलाइन शिक्षा को लेकर एक गंभीर विमर्श की आवश्यकता है। एक समान शिक्षा की सर्व-सुलभता, बच्चों का शारीरिक व मानसिक स्वास्थ्य, निजता का सम्मान, साइबर सुरक्षा जैसी अनेक चुनौतियों को समझने व इनका समाधान करने से ही ऑनलाइन शिक्षा का लाभ उठाना संभव हो पाएगा।

शिक्षण के क्षेत्र में भारत सरकार ने अनेक परियोजनाएँ चलाई हैं, जिनमें स्वयं (SWAYAM), ई-पाठशाला इत्यादि सम्मिलित हैं। शिक्षा मंत्रालय के अंतर्गत केंद्रीय हिंदी निदेशालय ने अनेक शब्दकोश व अन्य पुस्तकें ऑनलाइन उपलब्ध करवाई हैं।

https://swayam.gov.in/

स्वयं (SWAYAM) भारत सरकार द्वारा शुरू किया गया एक कार्यक्रम है, जिसे शिक्षा नीति के तीन सिद्धांतों - पहुँच, इक्विटी और गुणवत्ता को प्राप्त करने के लिए बनाया गया है। इस प्रयास का उद्देश्य सबसे वंचित लोगों सहित, सभी को सर्वोत्तम शिक्षण व शिक्षण संसाधन उपलब्ध करवाना है।

ई-शिक्षण और शिक्षण प्रबंधन सॉफ़्टवेयर्स से जो मुख्य अपेक्षाएँ की जाती हैं, उनमें तत्काल सूचना (real-time) और व्यक्ति विशेष के अनुसार (customized) सॉफ़्टवेयर होना, सम्मिलित हैं। ऐसे ऑनलाइन उपकरणों व सॉफ़्टवेयर की आवश्यकता है, जो विद्यार्थियों की आवश्यकता के अनुरूप हो। कक्षा में शिक्षक, छात्र और अभिभावकों के बीच एक सेतु का काम करें और संपर्क स्थापित करने में सक्षम हों।

इधर ‘गूगल फ़ॉर इंडिया 2020’ के अंतर्गत गूगल ने भारत में शिक्षा को बेहतर बनाने के लिए नयी पहल की घोषणाएँ की हैं। कंपनी देश भर के अनेक विद्यालयों को डिजिटाइज़ करने के लिए सेंट्रल बोर्ड ऑफ़ सेकंडरी एजुकेशन (CBSE) के साथ साझेदारी कर रही है।

यह सी.बी.एस.ई. स्किल एजुकेशन और ट्रेनिंग के साथ भारत के 22,000 स्कूलों में एक मिलियन शिक्षकों तक इसे पहुँचाएगा। कंपनी एजुकेशन के लिए जी सुइट (G Suite), गूगल क्लासरूम, यूट्यूब इत्यादि उपलब्ध कराएगा। जी सुइट (G Suite) में गूगल के गूगल डॉक्स, शीट्स इत्यादि सम्मिलित हैं। इस पर शिक्षक अपने विद्यार्थियों को गृहकार्य दे सकते हैं और गूगल फ़ॉर्म्स का भी उपयोग कर सकते हैं। गूगल के सी.ई.ओ. श्री सुंदर पिचाई ने भारत में 75 हज़ार करोड़ के निवेश का भी ऐलान किया है। ‘गूगल फ़ॉर इंडिया’ के छठे ‘एडिशन’ में पिचाई ने 'गूगल फ़ॉर इंडिया डिजिटाइज़ेशन फ़ंड' का ऐलान किया, जिसमें गूगल भारत में अगले पाँच से सात वर्षों में 75 हज़ार करोड़ रुपये का निवेश करेगा। गूगल की यह परियोजना भारत के शिक्षा जगत में एक नई क्रांति लाने में सक्षम होगी।

हमारे नीति निर्माताओं और शिक्षाविदों को कोई भी योजना क्रियान्वित करने से पहले उसके लाभ के साथ-साथ चुनौतियों और हानियों का आकलन भी अनिवार्य रूप से करना होगा।

हालाँकि भारत सरकार ने अनेक ऑनलाइन शिक्षण व दूरदर्शन कार्यक्रम चलाकर बच्चों को शिक्षित करने का प्रयास किया है। यह वास्तव में सराहनीय है। परंतु क्या जन-सामान्य इससे लाभान्वित हो रहा है, यह विचारणीय है। ऐसे विद्यार्थी जिनके पास कम्प्यूटर, मोबाइल, इंटरनेट व टेलीविजन नहीं हैं, वे छात्र अधिक तनाव में हैं। प्रतिभा सम्पन्न होते हुए भी संसाधनों के अभाव में वे पिछड़े हुए महसूस कर सकते हैं। विकसित देशों में संसाधनों के अभाव वाले लोगों को सरकार संसाधन उपलब्ध करवाती है, ताकि वे अन्य विद्यार्थियों के समकक्ष रहें और उन्हें समान अवसर मिले। इसी प्रकार का प्रयास भारत सरकार भी कर सकती है। ग्रामीण क्षेत्रों और जहाँ इंटरनेट की गति कम है, उनके बारे में भी विकल्प खोजने और समाधान उपलब्ध करवाने होंगे।

शिक्षकों को भी ऑनलाइन शिक्षा देने के लिए प्रशिक्षित करना होगा। पारंपरिक शिक्षण और ऑनलाइन शिक्षण में अंतर है। उन्हें ऑनलाइन शिक्षण के तौर-तरीकों, साइबर सुरक्षा और ऑनलाइन टूल्स व सामग्री तैयार करने के उपकरणों का प्रशिक्षण देना होगा। अनेक ऑनलाइन उपलब्ध संसाधन जैसे टंकण, वॉय्स टाइप, शब्द कोश, ओ.सी.आर. - ऑपटिक्ल करेक्टर रिकोग्निशन (Optical Character Recognition), टेक्स्ट-टू-स्पीच (TTS) लेखन से वाणी, फ़ॉन्ट कन्वर्टर, स्क्रीन रीडर, यूट्यूब, माइक्रोसॉफ़्ट ऑफ़िस, गूगल शीट्स व गूगल डॉक्स, वीडियो-ऑडियो एडिटिंग, कॉन्फ़्रेंसिंग की जानकारी लाभकारी रहेगी। ये संसाधन भविष्य में ऑनलाइन शिक्षण के लिए एक आवश्यकता कहे जा सकते हैं।

भारतीय शिक्षण परंपरा और ऑनलाइन शिक्षण

ऑनलाइन शिक्षण हमारी भारतीय शिक्षण परंपरा के लिए एक बड़ी चुनौती है। ऑनलाइन शिक्षण किस प्रकार भारतीय शिक्षण परंपरा के अनुरूप बने कि व्यक्ति एवं चरित्र निर्माण, समाज कल्याण और ज्ञान का उत्तरोत्तर विकास भी हो पाए? इस विषय पर भी मनन करना होगा। आज के बच्चे और युवा तो पहले से ही समाज से कटे-बँटे हुए हैं। भारत में फ़ेसबुक के उपभोक्ता विश्व में सर्वाधिक हैं। बच्चों और युवाओं के बदलते सामाजिक व्यवहार से अभिभावक पहले से परेशान हैं। वे घर में रहते हुए भी एकाकी ही थे। अब कोरोना के कारण बच्चे और युवा और अधिक ऑनलाइन रहते हैं जिसके दूरगामी परिणाम अवांछनीय हो सकते हैं।

ऑनलाइन शिक्षण ज्ञान तो देता है, लेकिन आदर्श प्रस्तुत नहीं करता, जिससे आचरण और चरित्र निर्माण में कोई सहायता नहीं मिलती। पारंपरिक शिक्षण में शिक्षक का आचरण बहुत महत्त्वपूर्ण होता है। प्राचीन काल से ही भारतीय संस्कृति में गुरु का महत्त्वपूर्ण स्थान रहा है। हमारे यहाँ कहा जाता है :

“गुरुर्ब्रह्मा ग्रुरुर्विष्णुः गुरुर्देवो महेश्वरः।

गुरुः साक्षात् परं ब्रह्म तस्मै श्री गुरवे नमः॥”

अर्थात् गुरु ही ब्रह्मा है, गुरु ही विष्णु है और गुरु ही महेश यानि शिव है। गुरु ही साक्षात् परमब्रह्म है। ऐसे गुरु को मैं प्रणाम करता हूँ, अर्थात् उनकी वंदना करता हूँ।

नयी शिक्षा नीति 2020 में ‘भारतीय भाषाओं, कला और संस्कृति के संवर्धन’ पर भी चर्चा है। प्रौद्योगिकी का उपयोग करते हुए और ऑनलाइन शिक्षण को बढ़ावा देते हुए किस प्रकार भारतीय मूल्यों को भी सुरक्षित रखा जाए? इसपर गहन विचार-विमर्श की आवश्यकता है।

नयी शिक्षा नीति और चुनौतियाँ

34 साल से शिक्षा नीति में परिवर्तन नहीं हुआ था। सरकार ने शिक्षा नीति को लेकर 2 समितियाँ बनाई थीं। एक टी.एस.आर. सुब्रमण्यम् समिति और दूसरी डॉ. के कस्तूरीरंगन समिति बनाई गई थी। भारत की शिक्षा व्यवस्था को अब नए सिरे से 21वीं सदी की ज़रूरत के अनुरूप बनाया गया है।

महामारी के इस संकट काल में सरकार को शिक्षा नीति में तय किए गए लक्ष्यों को पूरा करने के लिए युद्ध स्तर पर कार्य करना पड़ेगा। सरकार को एक बड़े स्तर पर नए अध्यापकों का चयन करना होगा। उन्हें नई नीति के अनुरूप प्रशिक्षित करना होगा। वर्तमान शिक्षकों को भी नयी शिक्षा नीति के लिए तैयार करना होगा। एक सशक्त कार्ययोजना बनानी होगी, ताकि इस नीति के उद्देश्यों की पूर्ति की जा सके। छात्रों के लिए नए संसाधन विकसित करने होंगे। उन्हें संसाधन उपलब्ध करवाने होंगे ताकि संसाधनों के अभाव में विद्यार्थी शिक्षा से वंचित न रहें।

समाधान क्या हो?

ऑनलाइन शिक्षण के संदर्भ में भारत सरकार की नयी शिक्षा नीति 2020 में प्रौद्योगिकी और ऑनलाइन शिक्षण को लेकर दो महत्त्वपूर्ण बिन्दुओं को सम्मिलित किया गया है :

• प्रौद्योगिकी का उपयोग एवं एकाकीकरण

• ऑनलाइन और डिजिटल शिक्षा

वैश्विक स्तर पर फैली ‘कोरोना महामारी’ के चलते प्रौद्योगिकी का उपयोग और ऑनलाइन शिक्षा बहुत महत्त्व रखते हैं। यदि इन दोनों बिन्दुओं पर सकारात्मक कार्य होता है, तो निस्संदेह शिक्षा जगत में इसके अच्छे परिणाम सामने आएँगे।

महामारी के शांत होने के पश्चात् भी सरकार, शिक्षकों, विद्यार्थियों और अभिभावकों को कड़ी परिश्रम करना होगा। इस समय की परिस्थितियों, उपलब्ध संसाधनों पर दृष्टिपात करें, तो निर्धारित लक्ष्यों को प्राप्त करना असंभव नहीं तो कठिन अवश्य है, लेकिन सामूहिक प्रयास और संकल्प से निस्संदेह यह संभव हो सकता है। ‘जहाँ चाह, वहाँ राह।’

संदर्भ :

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2. Rawani, A. M., & Singh, A. K. (2020). Revolution in Indian Higher Education with Covid-19. Sankalp Publication.

3. OECD Publishing. (2020). Economic Outlook for Southeast Asia, China and India 2020 – Update Meeting.

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5. Strauss, V. (2020, March 27). 1.5 billion children around globe affected by school closure. What countries are doing to keep kids learning during pandemic. Retrieved August 15, 2020, from https://www.washingtonpost.com/education/2020/03/26/nearly-14-billion-children-around-globe-are-out-school-heres-what-countries-are-doing-keep-kids-learning-during-pandemic/

6. Gibbs, S. (2017). Mobile web browsing overtakes desktop for the first time. [online] the Guardian.

Available at: https://www.theguardian.com/technology/2016/nov/02/mobile-web-browsing-desktop-smartphones-tablets [Accessed 20 Jun. 2017].

7. Nic. Ministry of Education. Retrieved August 8, 2020, from https://www.mhrd.gov.in/.

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