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रचनाः कुमारदत्त गुदारी
तिथिः 31 मई 2021
श्रेणीः  लघुकथा

रचना परिचयः

गली में दो कुत्ते रहते थे। दोनों अनाथ। अन्यों की तरह। पर दोनों में गहरा प्रेम था। हमेशा आसपास एक साथ ही दिखते। नितांत स्वतंत्र थे। गली ही उनका आँगन था।

भूल से न छूना मेरे हिस्से का खाना

- कुमारदत्त गुदारी

गली में दो कुत्ते रहते थे। दोनों अनाथ। अन्यों की तरह। पर दोनों में गहरा प्रेम था। हमेशा आसपास एक साथ ही दिखते। नितांत स्वतंत्र थे। गली ही उनका आँगन था। गली के लोग उनके अपने थे। जहाँ भी कुछ मिला, खा लिया। निगरानी सभी की करते। मालिक उनके तो सभी थे, पर स्वामीभक्त का दर्जा उन्हें किसी से भी प्राप्त नहीं था। तब भी वे मैले, गन्दे जानवर, थे खुश बड़े।

उसी गली में एक बड़ा घर था। सुबह काम पर निकलते सज्जन मालिक अपनी गाड़ी के शीशे को उतारते हुए, दोनों कुत्तों को साथ बैठे सोचा करता कि किसी रोज़ दोनों को अपनाएगा। आखिर दिन एक और आया, जब दोनों कुत्तों को मालिक मिला। गली छोड़ उन्हें अब बंद आँगन में रहना पड़ा।

मालिक के नौकर जब दोनों कुत्तों को अलग-अलग प्लेट में खाना देते, तब गहरी मित्रता वाले दोनों कुत्तों में लालच आ जाता। अपने हिस्से को सुरक्षित रख, पहला कुत्ता अपने प्लेट के खाने को छोड़ दूसरे का पहले खाने लगता। यही बात दूसरे कुत्ते की भी थी। दोनों एक दूसरे पर नाराज़। एक दूसरे पर भौंकने लगे और धीरे-धीरे हिंसक बन, एक-दूसरे पर प्रहार करने लगे।

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